एक छोटा लड़का बड़ा मादरचोद टाइप का होता है। एक दिन उसका बाप उसके लिए एक छोटी खिलौने वाली ट्रेन ले कर आता है।
लड़का ख़ुश हो जाता है और ट्रेन चलाने लगता है। लड़के का बाप पास बैठा-बैठा अख़बार पढ़ता रहता है। लड़का ट्रैन में चाबी भरता था और ट्रेन के चलने पर ख़ुश होता था।
चलते-चलते जब ट्रेन रुक जाती है, तो लड़का उछलकर कहता है. "मुंबई से दिल्ली जानेवाली ट्रैन भोपाल पहुँच गई है, जिन बहनचोदों को उतरना है उतर जाएँ, और जिन बहनचोदों को चढ़ना है चढ़ जाएँ"।
उसका बाप सोचता है, कि लड़का कहीं गाली तो नहीं दे रहा, और वह लड़के की गतिविधि पर ग़ौर करने लगता है।
कुछ देर बाद जब ट्रैन रुकती है तो लड़का फिर वही वाक्य दोहराता है, "मुंबई से दिल्ली जानेवाली ट्रैन ग्वालियर पहुँच गई है, जिन बहनचोदों को उतरना है उतर जाएँ, और जिन बहनचोदों को चढ़ना है चढ़ जाएँ"।
बाप को आता है ग़ुस्सा, लड़के को दो थप्पड़ लगाता है और उसकी रेलगाड़ी उठाकर अलमारी के ऊपर रख देता है, और कहता है, "हरामखोर गाली देता है, जा अब तुझे रेलगाड़ी नहीं मिलेगी"।
लेकिन लड़का भी बड़ा हरामी होता है, रो-रोकर किसी तरह अपने बाप को दो घंटे में मना ही लेता है। बाप भी उस पर तरस खा कर उसे रेलगाड़ी वापस दे देता है।
लड़का फिर खेलने लगता है और रेलगाड़ी के रुकने पर कहता है, "मुंबई से दिल्ली जानेवाली ट्रैन आगरा पहुँच गई है, जिन बहनचोदों को उतरना है उतर जाएँ, और जिन बहनचोदों को चढ़ना है चढ़ जाएँ, क्योंकि पहले ही एक मादरचोद की वजह से ट्रेन दो घंटे लेट हो गई है"।
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